लेखनी प्रतियोगिता -30-Nov-2022
जीवन साथी
साथ की बहार चली है बुझी है
जब शाम तन का साथ मांगें
अब हर शाम, लिपटी हैं ओढ़नी
बन कर मेरा कवच कौन जाने
आज लाज उड़ी है अपनी ही
दहलीज की शिकार बन, रोए हैं
आंसू बिन बहाए अब कौन कहें
सात फेरों की शाम बनी है साक्षी
मेरे दर्द की तस्वीरों को सजाएं।
राखी सरोज
Gunjan Kamal
07-Dec-2022 09:00 AM
बहुत खूब
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RAKHI Saroj
20-Dec-2022 10:11 PM
धन्यवाद
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Varsha_Upadhyay
06-Dec-2022 08:06 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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RAKHI Saroj
20-Dec-2022 10:11 PM
धन्यवाद
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Punam verma
01-Dec-2022 08:14 AM
Very nice
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RAKHI Saroj
05-Dec-2022 01:24 AM
धन्यवाद आपका
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